3) दुर्गा देवी आरती ( Durga Devi Aarti)

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी।अनाथ नाथे अंबे करुणा विस्तारी।वारी वारी जन्म मरणांते वारी।हारी पडलो आता संकट निवारी॥१॥ जय देवी जय देवी महिषा सुरमथिनी।सुरवर ईश्र्वर वरदे तारक संजीवनी॥धृ॥ तुजवीण भुवनी पाहता…

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